वेश्या - Motivational story in hindi
वेश्या - Motivational story in hindi
welcome friends, प्रेरणादायक और ज्ञानवर्धक ब्लॉग StudyTrac पर आपका स्वागत है , आज की पोस्ट में हम hindi motivational story " वेश्या " पढने जा रहे हैं |किसी गाँव में एक वेश्या रहती थी , एक वेश्या का काम क्या होता है आप तो जानते ही होंगे , भरण-पोषण करने के लिए वही उसका रोज का काम था | इसके अलावा वह रोज भगवान का ध्यान लगाती और पूजा-पाठ करती थी | उसी गाँव में एक पंडित जी भी रहते थे , वह उस वेश्या को देखकर काफी जलते
थे , इसलिए जब वह वेश्या पूजा करती तो बुरा-भला कहते थे | वह उस वेश्या से कहते थे की देह-व्यापार तो नीचों का काम है और तुम यह काम करती हो इसलिए तुमको तो नरक में भी जगह नहीं मिलेगी | उनकी बात को वह वेश्या चुपचाप सुन लेती थी |
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वह वेश्या भी इस तरह के नीच कर्म को नहीं करना चाहती थी , लेकिन पैसों के कारण मजबूर थी | वह इश्वर से प्राथना करती थी की हे भगवान मुझे इस नीच कार्य से छुटकारा दिलाओ और इस काम के लिए मुझे जो भी सजा देना होगा दे देना | लेकिन उसका उस काम से पीछा नहीं छुटा और
उम्र भर उसे वही काम करना पड़ा |
उधर वह पंडित जी रोज भगवान का पूजा करते , भक्तों को शिक्षा देता थे | धार्मिक कार्यों को करते और जबतक भगवान को भोग नहीं लगा लेते तब तक अन्न ग्रहण नहीं करते थे | उनकी भगवान में आस्था को देखकर लोग उनका बहुत सम्मान करते थे और सब लोग मानते थे की पंडित जी
को स्वर्ग में स्थान मिलेगा |
धीरे-धीरे समय बीतने लगा और पंडित जी और वह वेश्या दोनों वृद्ध हो गए और कुछ समय के बाद उन दोनो की मृत्यु हो गयी | मृत्यु हो जाने के बाद पंडित जी स्वर्ग मिला , यह देखकर पंडित जी बहुत खुश हुए | और जब वह भगवान के सामने उपस्थित हुए तो क्या देखते हैं की वह वेश्या भी
वही है और उसको स्वर्ग में पंडित जी की अपेक्षा उच्च स्थान मिला है | यह देखकर वह पंडित जी बहुत नाराज हुए और भगवान से उन्होंने पूछ की हे भगवान मैंने आपकी रातो दिन सेवा किया , आपके लिए उपवास रखा , आपको पूजा उसके बाद भी मुझे आपके दरबार में निचे स्थान मिला और
इस वेश्या को जिसका कर्म बहुत ही नीच है इसको मुझसे उचा स्थान क्यों मिला है ? यह अन्याय आपने मेरे साथ क्यों किया है ?
यह सुनकर भगवान ने उस पंडित जी से कहा की तुम मेरी पूजा तो करते थे , लेकिन वह मन से नहीं करते थे वह तो केवल एक दिखावा था | तुम दुनिया को यह दिखाना चाहते थे की मैं इश्वर का बहुत बड़ा भक्त हूँ , तुम्हारे अन्दर लोभ था की अगर मै इश्वर की पूजा करूँगा तो मुझे स्वर्ग मिलेगा |
इसलिए तुम्हे आज यहाँ छोटा स्थान मिला है | जबकि इस वेश्या के कर्म तो केवल बाहर से ख़राब थे , लेकिन इसका मन एकदम पवित्र था | जीविकोपार्जन का कोई साधन नहीं होने पर इसने वेश्यावृति का रास्ता अपना लिया था | और इसके अन्दर कोई लालच नहीं था , इसे अपने कर्मों पर
पश्चाताप होता था | और तुम तो जानते ही हो की मुझे दिखावा नहीं पसंद है और मैं पवित्र मन को पसंद करता हूँ | इसलिए इस वेश्या को आज इस स्थान पर तुमसे उच्च स्थान मिला है |
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दोस्तों हमारे जीवन में भी कुछ ऐसा ही होता है , हम अधिकतर काम केवल दिखवा करने के लिए करते हैं , हम किसी एक लक्ष्य की ओर जा रहे होते हैं , लेकिन हमारा ध्यान किसी दुसरे लक्ष्य की ओर होता हैं और इसलिए हम सफल नहीं हो पाते हैं | हम दुसरो को देखकर सोचते हैं की अगर हम
ऐसा करेंगे तो हमें भी लोग बड़ा मानने लगेंगे , लेकिन ऐसा होता नहीं है और हम असफल हो जाते हैं |
इसलिए इस पोस्ट में अंत में बस इतना कहना चाहूँगा की
" मन जो कहे केवल वही करो , दिखावा केवल दुःख और दर्द दे सकता है और कुछ नहीं "
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