थॉमस अल्वा एडिसन (Edison biography in hindi)

"सफल होने सबसे आसान तरीका है , एक बार और प्रयास करना "
और इसी बात को साबित करते हैं , थॉमस अल्वा एडिसन , जिनको हम साधारणतः एडिसन के नाम से जानते हैं |  एडिसन की वजह से ही हम आज प्रकाश में रहते हैं , अगर एडिसन नहीं होते तो आज हम विद्युत् रहने के बावजूद भी रातों को अंधेरे में रहते |

भले आज-कल एल ई डी बल्बों का उपयोग बढ़ गया है , लेकिन इन बल्बों का जो concept  है वह एडिसन के साधारण बल्ब से ही लिया गया है | और एडिसन अगर बल्ब का अविष्कार नहीं करते तो , शायद आज तक हम जानते भी नहीं की बल्ब होता क्या है |

जब भी दुनिया के महत्वपूर्ण और प्रभावशाली वैज्ञानिकों की बात की जाती है , तो उसमें एडिसन का नाम जरूर आता है | लेकिन एडिसन के सफलता का सफर भी काफी कष्ट और परिष्रम युक्त है | इस लेख में हम एडिसन की जीवनी के बारे में पढ़ने जा रहे हैं |


एडिसन की जीवनी (Edison biography in hindi)

एडिसन का जन्म अमेरिका के मिलैन शहर में सन 1847 ई० को एक साधारण परिवार में हुआ था |उनके पिता का नाम सामुएल ओगडेन एडीसन जूनियर तथा इनकी माँ का नाम नैन्सी मैथ्यू इलियट था | 

बचपन से ही यह बड़े कुशाग्र बुद्धि के थे | यह अपनी माँ के साथ रहते थे | यह बड़े ही नटखट स्वभाव के थे और इनका पढ़ने में मन नहीं लगता था  इसलिए  जिस स्कूल में पढ़ने जाते थे वहां से इनको तीन महीनों के अंदर ही निकाल दिया गया | 

एडिसन अपनी जिंदगी में केवल तीन महीनों तक ही स्कूली शिक्षा ले पाए | स्कूल से निकालते समय वहां के अध्यापकों ने एडिसन की माँ से कहा था की एडिसन कभी पढ़ नहीं सकता | लेकिन एडिसन की माँ ने हार नहीं माना और वह एडिसन को अपने घर पर ही पढ़ने लगी | माँ के साथ पढ़ने में एडिसन को बहुत ही अच्छा लगता था , जिससे पढ़ने में उनका मन भी लगने लगा | 

10 साल उम्र होने तक इन्होने साइंस की बड़ी-बड़ी किताबें पढ़ लिया था | घर में पैसों की कमी होने के कारण यह रोज सेव और अख़बार बेचने लगे  , जिससे उनको प्रतिदिन 1 डॉलर मिलता था | फिर उन्होंने एक पुरानी प्रिंटिंग मशीन खरीद लिया , जिसमें लोगों के document प्रिंट करके उनको कुछ पैसे मिल जाते थे | 

लेकिन यह पैसे उनके परिवार को चलाने के लिए काफी नहीं थे , इसलिए उन्हें मजबूरन रेलवे में नौकरी करनी पड़ी | रेलवे में नौकरी करने के साथ-साथ वह पढ़ते भी थे | उन्होंने अपने अधिकारीयों से अनुमति लेकर रेल के डिब्बे में ही अपना एक छोटा सा लैब बना लिया | जिसमें वह अपना प्रयोग करते रहते थे | 

विज्ञानं में उन्हें इतनी रूचि थी की जब भी उन्हें समय मिलता , वह प्रयोग करने में लग जाते | पर दुर्भाग्यवश एक दिन उनके लैब में कुछ रसायन गिर गए और आग लग गयी | उस आग में अपने प्रयोगों को बचाने में वह भी जल गए | आग लगने के कारण उनको रेलवे की नौकरी से भी हाथ धोना पड़ा | 

उसके बाद इन्होने डाक विभाग में नौकरी कर लिया | लेकिन कुछ ही समय बाद इन्होने नौकरी छोड़ दिया और अपना पूरा समय प्रयोगों में लगाने लगे | वर्ष 1869 ई० में एडिसन में मतदान की गणना करने लिए विद्युत् मतदान गणक मशीन का अविष्कार किया | 

उसके बाद सन 1878 ई० में इन्होने फोनोग्राफिक मशीन बनाया | इस प्रयोग के बाद वह विद्युत् बल्ब के अविष्कार में लग गये , उन्होंने काफी कठिन परिष्रम किया लेकिन फिर भी विद्युत् बल्ब जल्दी बन ही नहीं रहा था | उनके इस कठिन कार्य को देखकर बहुत से लोगों ने उनसे कहा की वह एक बेकार प्रोजेक्ट पर कार्य कर रहे हैं , लेकिन उन्होंने किसी की बात पर ध्यान नहीं दिया और अपना प्रयोग करते रहे | 

एक दिन वह विद्युत् बल्ब पर प्रयोग क्र रहे थे और एक शार्ट-सर्किट हो गया , जिसको ठीक करने में उनको बिजली का तेज झटका लगा और उनको हॉस्पिटल में भर्ती होना | लेकिन हॉस्पिटल से निकलते ही उन्होंने अपना प्रयोग शुरू कर दिया और लगभग 1200 बार असफल होने के बाद 21 अक्टूबर 1879 ई० को दुनिया के सामने विद्युत् बल्ब ला दिया | 

उनके इस अविष्कार के कारण अमेरिका के राष्ट्रपति ने उनको अपना खास मेहमान बनाया और सम्मानित किया | वैद्युत बल्ब के अलावा एडिसन ने कैमरा का भी अविष्कार किया | अपने पुरे जीवनकाल में एडिसन ने लगभग 1000 से भी ज्यादा अविष्कार किया | 

उनकी सबसे अच्छी बात यह है की उन्होंने जितने भी अविष्कार किया वह सब लोगों की भलाई के लिए किया | उनके पास बहुत सी कम्पनियाँ आयी लेकिन उन्होंने उनके साथ काम करने के लिए मना कर दिया | 

एडिसन : व्यक्तिगत जीवन 

एडिसन ने वर्ष 1871 में मैरी स्टिलवेल से शादी किया , लेकिन इनकी यह जोड़ी 1884 तक ही चल पायी | फिर उन्होंने 1886  ई० में मीना मिलर से शादी किया और ये दोनों जीवन भर साथ रहे | एडिसन की दोनों पत्नियों से 6 बच्चे थे | 

सन 1931 ई० में इनकी मृत्यु हो गयी | 

इस लेख में हमने जाना की अगर हमारे अंदर कुछ करने का जूनून , लगन हो तो हमें सफल होने से कोई नहीं रोक सकता | 
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टिप्पणियाँ

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